हम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से ही विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है। भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कोर्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होनेवाले वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है। कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है।
आधुनिक दुनिया अपने आधुनिक तकनीकों पर बड़ा ही घमंड करती है वह यह नहीं जानते कि तुम्हारे बिना यह सब अधूरा है। ।
- रमेश शर्मा (विश्वकर्मा समाज अध्यक्ष)निर्माण तथा अविष्कार का कोई भी कार्य तब तक असंभव है जब तक स्वयं विश्वकर्मा जी का आशीर्वाद ना हो। ।
- रमेश शर्मा (विश्वकर्मा समाज अध्यक्ष)मेरे जीवन में समस्त निर्माण और यंत्र आपके आशीर्वाद से प्राप्त हुए हैं आप सदैव इनकी रक्षा करें और हमें नए-नए अविष्कार तथा यंत्र की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद दें। ।
- रमेश शर्मा (विश्वकर्मा समाज अध्यक्ष)तुम चाहो तो खंडहर को भी बना देते हो स्वर्ग सा महल अद्भुत है तुम्हारी शिल्पकारी तुम्हें पूजे सब नर और नारी। ।
- रमेश शर्मा (विश्वकर्मा समाज अध्यक्ष)दुनिया करे तुम्हारी जय जयकार तुम ही हो सच्चे कलाकार कोई न तुमसा वह पाया है कोई न तुमसा बना पाया है। ।
- रमेश शर्मा (विश्वकर्मा समाज अध्यक्ष)भगवान विश्वकर्मा का जन्म मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से माना गया है। वह प्रत्येक निर्माण के देवता माने गए हैं। अतः अस्त्र-शस्त्र,आयुध आदि संपूर्ण रचना विश्वकर्मा जी ने की। इतना ही नहीं भगवान शिव शंकर ने जब अपने लिए सोने की लंका का निर्माण कराने का सोचा तो इस निर्माण के लिए विश्वकर्मा जी को याद किया। गया राम ने पर्णकुटी का निर्माण भी विश्वकर्मा से करवाया। इतना ही नहीं द्वापरयुग में भी अनेकों शानदार कलाकृतियों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया। 2021 में विश्वकर्मा पूजा सितंबर माह के 17 तारीख शुक्रवार के दिन है। इस दिन आप अपने घर में साफ-सफाई करते हुए भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कीजिए। इनकी प्रसन्नता से आपका वैभव बना रहेगा सदैव नए विचार आपके मन में आते रहेंगे, सृजनात्मक शक्ति आपकी बढ़ती रहेगी। अतः यह पूजा लाभकारी है विशेष रूप से पूर्वांचल के क्षेत्र में इसकी पूजा की जाती है, वैसे तो संपूर्ण भारत वर्ष में इस त्यौहार को मनाया जाता है